Thursday 7 June 2012

सच और झूठ…


सच और झूठ में,
फर्क बस इतना है.
जो हम सुनना चहते हैं,
वो है सच!
और जो कहते हैं,
वो झूठ!!
ना कुछ सच है,
और ना ही कुछ झूठ…
बस हमरी सोच है!!!

जिसने जो चाहा, वो पाया !!!


हमने इल्तजा की थी,
उनको शिकायत लगी.
हम खुश थे,
और
वो नाराज…
जिसने जो चाहा, वो पाया !!!

Wednesday 6 June 2012

जिन्दगी में वो कभी विफल नहीं होता…


जिनके हौसलों में शंका का बादल नहीं होता.
जिन्दगी में वो कभी विफल नहीं होता..
और जिनको ऐतबार ना हो अपने आप पर.
वो शख्स कभी उम्र भर सफल नहीं होता..
पत्थर नहीं उछालता कोई उन दरख्तों पर.
जिनकी शाखों पर कोई फल नहीं होता..
रात ना होती कभी इतनी गहरी, काली.
जो तुम्हारी आँखों में काजल नहीं होता..
संसद में ढूंढ रहे थे हम, एक अच्छा नाम.
पर कीचडों में शायद अब कंवल नहीं होता..
ऐ 'श्वेत' शायद तुझको कोई पहचानता नहीं.
अगर तू लिखता ग़ज़ल नहीं होता.. 

Tuesday 5 June 2012

दिल में है दर्द, तो गजल करना पडेगा...


अपने शब्दों को थोडा सरल करना पडेगा.
दिल में है दर्द, तो गजल करना पडेगा..
गर बनना है सूरज, चमकने के लिये तो.
दोस्तों अन्दर ही अन्दर, जलना पडेगा..
मन्जिलों तक पहुँचना है तो रस्तों पर.
तन्हा बहोत दूर तक, चलना पडेगा..
बदलाव कोई बडा, लाना है तो 'श्वेत'.
पहले खुद अपने आप को बदलना पडेगा..
वरिष्ठ जनों का हार, बनाने के लिये माली को.
कुछ मासूम फूलों को, मसलना पडेगा...

Monday 4 June 2012

आज हर इन्सान यहाँ, लाश बन गया है क्यों ???


आज हर इन्सान यहाँ, लाश बन गया है क्यों ?
रिश्तों की जगह पैसा, एहसास बन गया है क्यों ??
तेज रफ्तारों ने यहाँ, छीनी है कई जिन्दगियाँ.
कारों में चलने वाला, यमराज बन गया है क्यों ??
सत्यमेव-जयते, सूक्त वक्य है जहाँ का.
झूठ वहाँ का गीता-कुरान बन गया है क्यों ??
जितना बडा नेता, उतना ही बडा चोर.
हर लुटेरा इस देश का, निगेहबान बन गया है क्यों ??

इस दुनियां का सच…


हमने एक कहानी बनाई,
उसको इतनी दफे सुनाई,
कि अब हकीकत,
झूठ लगे है.
और कहानी,
लगती है सच्ची…
इस दुनियां में,
सच क्या है?
और, झूठ क्या??
जिस सच को,
दबा और कुचल दिया जाता है,
वो झूठ!
और जिस झूठ को,
बढा-चढाकर और
कहानियों में गूंथकर सुनाया जाता है,
वही होता है, इस दुनियां का,
अन्तिम और अकाट्य,
सत्य!!
दबे-कुचले होते हैं, गरीब!
और जिनकी कहानियां होती हैं,
वो होते हैं अमीर!!
इस दुनियां का,
बस इतना सच है,
ये दुनियां,
बस इतनी ही सच्ची!!!

Wednesday 30 May 2012

जनता का तो बज गया बाजा, अन्धेर नगरी, चौपट राजा…


जनता का तो बज गया बाजा,
अन्धेर नगरी, चौपट राजा..
२जी घोटाला करे ’ए राजा’,
अन्धेर नगरी, चौपट राजा..
पूछा जो उनसे, तो कहते हैं राजा,
सब करते हैं घोटाले, कोई हमको नहीं बताता..
जनता का तो बज गया बाजा, अन्धेर नगरी, चौपट राजा…
तोहमत तो हमपर ऐसे ना लगाओ,
चोर आप हमको ऐसे ना बुलाओ.
सब खाते होंगे, मैं नहीं खाता..
जनता का तो बज गया बाजा, अन्धेर नगरी, चौपट राजा…
पर राजा जी इतना तो बताओ,
जो चोर हैं, उनको तो हटाओ.
दुनियां सरी पहचाने है उनको, क्यों आपको ही वो नजर नहीं आता..
जनता का तो बज गया बाजा, अन्धेर नगरी, चौपट राजा…