रोज रात,
जो सितारे, आसमां पर चमकते हैं,
आ जाते हैं, मेरे कमरे में,
और चमकते हैं, छत से चिपककर,
और मैं, उन्हें टकटकी बांधे देखता हूँ।
शायद, वो भी मुझे देखते होंगे।
उनके आने का सबब,
ना तो उन्होंने मुझे बताना ज़रूरी समझा,
और, ना मैंने, जानना।
ज़रूरी था, तो बस,
उनका यूँ ही रोज, आ जाना,
और मेरा उनको, टकटकी बांधे देखना।
बिना किसी शक, और सवाल के।।।
जो सितारे, आसमां पर चमकते हैं,
आ जाते हैं, मेरे कमरे में,
और चमकते हैं, छत से चिपककर,
और मैं, उन्हें टकटकी बांधे देखता हूँ।
शायद, वो भी मुझे देखते होंगे।
उनके आने का सबब,
ना तो उन्होंने मुझे बताना ज़रूरी समझा,
और, ना मैंने, जानना।
ज़रूरी था, तो बस,
उनका यूँ ही रोज, आ जाना,
और मेरा उनको, टकटकी बांधे देखना।
बिना किसी शक, और सवाल के।।।
Nice Poem by you. Hindi Sahitya ke anokhi bhet
ReplyDeleteThanks a lot for your appreciation...
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