"ज़ज्बात-ए-जिस्म के तजुर्बे लेकर, आखिरश रूह की दुनियां में आना ही पड़ा..."
सच और झूठ में,
फर्क बस इतना है.
जो हम सुनना चहते हैं,
वो है सच!
और जो कहते हैं,
वो झूठ!!
ना कुछ सच है,
और ना ही कुछ झूठ…
बस हमरी सोच है!!!
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