"ज़ज्बात-ए-जिस्म के तजुर्बे लेकर, आखिरश रूह की दुनियां में आना ही पड़ा..."
कोई डूबता सा गर दरिया में पार होता है.
ये किसी अपने की दुआओं का असर होता है..
बस उन्ही राहों का आसान सफर होता है.
जिनको अपने पर भरोसा जो अगर होता है..
छोड हमें यहाँ, चले जाते हैं जो उस नगरी.
वहाँ रहने को क्या, उनका कोई घर होता है???…
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