कातिल तो एक ही था, पर खन्जर बदल गए.
कुछ इस तरह से सारे, मन्जर बदल गए..
हमको तो मिल ही जाता, वो प्यार का मोती.
बदकिस्मती अपनी, कि समन्दर बदल गए..
गर जीतना है जीतो, दिलों को मेरे दोस्त.
वतन जीतने वाले सभी, सिकन्दर बदल गए..
सच-झूठ और सारे नियम कानून.
रिश्वत मिली तो सरे, अन्तर बदल गए..
देखकर संसद की हालत, ’श्वेत’ सोचता हूँ.
जानवर बदल गए हैं, या जंगल बदल गए..
No comments:
Post a Comment